शिक्षण संस्थानों में 60 फीसदी आरक्षण पर फिर शुरू हुई सियासत, बीजेपी-कांग्रेस ने एक-दूसरे को घेरा
शिक्षण संस्थानों में 60 फीसदी आरक्षण के आधार पर प्रवेश देने के कैबिनेट के फैसले के बाद आरक्षण के मुद्दे पर एक बार फिर राजनीति शुरू हो गई है.
रायपुर: शिक्षण संस्थानों में 60 फीसदी आरक्षण के आधार पर प्रवेश देने के कैबिनेट के फैसले के बाद आरक्षण के मुद्दे पर एक बार फिर राजनीति शुरू हो गई है. बीजेपी-कांग्रेस दोनों पार्टियां एक-दूसरे पर निशाना साध रही हैं. बीजेपी कैबिनेट के फैसले को विपक्ष के दबाव और विरोध का नतीजा बता रही है. वहीं कांग्रेस ने राजभवन में अटके 76 फीसदी आरक्षण मामले पर एक बार फिर बीजेपी पर साजिश रचने का आरोप लगाया है |
विरोध के कारण झुकी भूपेश सरकार: नेताम
पूर्व राज्यसभा सदस्य व भाजपा के कद्दावर आदिवासी नेता रामविचार नेताम ने कहा है कि ढुलमुल नीति से परहेज करते हुए हम सबके विरोध के कारण आखिरकार भूपेश सरकार को मंत्रिपरिषद में यह निर्णय लेने के लिए मजबूर होना पड़ा है. आदिवासी आरक्षण पर. अब, राज्य के मेडिकल कॉलेजों में कुल 973 एमबीबीएस सीटों में से अनुसूचित जनजाति के छात्रों को पूरी 300 सीटें मिलेंगी, जो 32 प्रतिशत हैं। इसी तरह अन्य संस्थानों में भी प्रवेश मिलेगा। नेताम ने कहा कि बीजेपी आदिवासियों के साथ किसी भी प्रकार की धोखेबाजी बर्दाश्त नहीं करेगी |
भाजपा की साजिश के कारण अटका 76 फीसदी आरक्षण: बैज
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष व सांसद दीपक बैज ने कहा कि कांग्रेस सरकार राज्य के आरक्षित वर्ग के लोगों को 76 फीसदी आरक्षण देना चाहती है. इसके लिए भूपेश सरकार ने आरक्षण संशोधन विधेयक विधानसभा से पारित कर राजभवन भेज दिया है, लेकिन भाजपा की साजिशों के कारण पिछले आठ माह से आरक्षित वर्गों का अधिकार राजभवन में लंबित है. राजभवन से हस्ताक्षर नहीं होने के कारण राज्य में 76 फीसदी आरक्षण लागू नहीं हो पा रहा है |